Sunday, June 06, 2021

लंबा सफर है साहिल न कोई

तनहा ये राहे, मंजिल न कोई
लंबा सफर है  साहिल न कोई ॥

यादों में धुंदले, कुछ पल है तेरे
कुछ बिखरे बिखरे, कुछ है सवारे
न आहट है तेरी, न दस्तक है कोई
लंबा सफर है  साहिल न कोई ॥

ख्वाबों में हलचल, कभी थी बहारे
कटी उम्र सारी उसी के सहारे
लेकर उमंगे, आया न कोई
लंबा सफर है  साहिल न कोई ॥

परवाह ना थी, किसीको हमारी
आंखों में थी सिर्फ अश्कोंकी बारी
उम्मीद अब ना, हसरत न कोई
लंबा सफर है  साहिल न कोई ॥

गुमनाम गलियां, गुमनाम मेले
चलते रहे हम, अकेले अकेले
अब तो है आदत शिकायत न कोई
लंबा सफर है  साहिल न कोई ॥

जयश्री अंबासकर

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