Sunday, August 23, 2020

तुम भी मान लेते

इन्कार की वजह तो हमसे भी पूछ लेते
राहे जरा बदलकर हमको ही ढूंढ लेते

यादे हमारी दिल में मेहफूज अब भी होगी
खुशबू हवा में थोडी उनकी उछाल देते

वो रात पश्मिनी सी भूले तो तुम ना होंगे
झिलमिल वही सितारे सपनों में छोड देते

वो बेरुखी तुम्हारी, वो बेवजह का रुठना
मुसकान एक प्यारी बदले में भेज देते

बाते सदा तुम्हारी मनवा ही हमसे लेते
थोडीसी जिद हमारी कभी तुम भी मान लेते

हम भी तुम्हारी तरहा बेफिक्र काश होते
थोडीसी बेवफाई तब काश हम भी करते

इस जिंदगीसे रुठकर यू अलविदा कहा क्यू  
कुछ सांस तुम हमारे दिल से उधार लेते  

जयश्री अंबासकर


No comments: