Tuesday, August 17, 2021

रातें

सपने सलोने बुनती है राते चंदा को अपने चुनती है राते सांसोंकी धुन और खामोश बातें धडकन की लय पे चलती है रातें

उमंगे हजारो सैलाब दिल में तिनके की तरहा बहती है रातें होती है जब भी फुलोंसी बातें असर से सहर तक महकती है रातें सांसों में बजती तरन्नुम नयी सी अंजान राहों पे चलती है रातें बेखौफ़ दिल की लाखों मुरादें सपनों में पूरी करती है रातें तनहाईयों से गुजरती है जब भी हमदर्द बनके छलकती है रातें जयश्री अंबासकर



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