ख्वाब में उनका सताना जी हमें मंजूर है
निंद आंखोंसे गंवाना भी हमें मंजूर है
महफिले उनकी गजब होगी हमे मालूम है
सिर्फ उनका गुनगुनाना भी हमें मंजूर है
मुस्कुराके रोक लेना कातिलाना है बडा
इस तरह उनका मनाना ही हमें मंजूर है
बात अब हर एक उनकी मान लेते प्यार से
महज उनका हक जताना भी हमें मंजूर है
देर से आना पुरानी आदतों में एक है
झूठ उनका हर बहाना भी हमें मंजूर है
साथ उनका शायराना पल लगे हर खुशनुमा
वक्त का खामोश गाना भी हमे मंजूर है
जयश्री अंबासकर
ये गझल मेरी आवाज में सुन सकते है !!
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