Monday, July 26, 2021

मेघ आज बरसले

धुंद होउनी पुन्हा 
मेघ आज बरसले 
पान पान मोहरून
अंतरी सुखावले 

मेघनाद ऐकुनी 
देहभान विसरले
झेलुनी प्रपात थेट
मन्मनी शहारले 

नभातुनी कुणी जणू
सुगंध कुंभ ओतले 
दरवळून आसमंत
चित्तही खुळावले

तरूवरी किती नवे
साज सुबक चढवले 
जलमुकूट तरुशिरी
लखलखीत मढवले 

सरी सरीत प्रेमरंग
गोड गोड मिसळले 
अधीरशा धरेवरी 
देह भरुन गोंदले 

रिक्त होउनी नभी
मेघ सर्व पांगले
तृप्त तृप्त अंबरी
सप्तरंग उमलले 

जयश्री अंबासकर

Thursday, July 22, 2021

वृत्त - मदिरा

वृत्त - मदिरा
लगावली - गालल गालल गाललगा ललगा ललगा ललगा ललगा

अल्लड मोहक डौल तिचा, हरिणीसम नाजुक चंचलता 
हास्य खट्याळ खळीत तिचे, मधुकुंभ तिथे जणु होय रिता
सावळ सावळ रंग तिचा, तन सुंदर रेखिव शिल्प जणू
स्निग्ध तिच्या नजरेत नवे, खुलते फुलते नित इंद्रधनू

सिंहकटी लयबद्ध हले, घन रेशिम कुंतल सावरता
नित्य खुळे जन होत किती, दिलखेच अदा बघता बघता 
लोभस शैशव का अजुनी, सरले न तिचे जपलेच कसे
लाघव वावर गोड तिचा, बघताच जिवा हर लावि पिसे    

रूपवती गुणवान अशी, असतेच कुठे अवनीवरती
स्वप्न असे पण का न बघू, धरबंध कशास मनावरती
स्वप्न परी गवसेल कधी, कळले न कुणा न कळेल कधी
तोवर स्वप्न खुळे बघतो, जगता जगता गवसेल कधी 

जयश्री अंबासकर 

ही कविता तुम्हाला माझ्या आवाजात इथे ऐकता येईल



Monday, July 19, 2021

जी हमें मंजूर है

ख्वाब में उनका सताना जी हमें मंजूर है
निंद आंखोंसे गंवाना भी हमें मंजूर है

महफिले उनकी गजब होगी हमे मालूम है
सिर्फ उनका गुनगुनाना भी हमें मंजूर है

मुस्कुराके रोक लेना कातिलाना है बडा
इस तरह उनका मनाना ही हमें मंजूर है

बात अब हर एक उनकी मान लेते प्यार से
महज उनका हक जताना भी हमें मंजूर है

देर से आना पुरानी आदतों में एक है
झूठ उनका हर बहाना भी हमें मंजूर है

साथ उनका शायराना पल लगे हर खुशनुमा
वक्त का खामोश गाना भी हमे मंजूर है

जयश्री अंबासकर

ये गझल मेरी आवाज में सुन सकते है !!




Tuesday, July 06, 2021

तुम्हारे शहर में

खुशियों के रस्ते तुम्हारे शहर में
मौसम है हसते तुम्हारे शहर में 

तनहाइयों को नही है ठिकाना 
पल है मचलते तुम्हारे शहर में 

मोहब्बत तो होगी हमे भी यकीनन
दिल के फरिश्ते तुम्हारे शहर में

खुशबू तुम्हारी हर इक गली में 
महकते है रस्ते तुम्हारे शहर में  

हमारा शहर भी, शहर तो है लेकिन 
किस्से है बनते तुम्हारे शहर में

चाहे किधर भी रुख हो हमारा
कदम फिर भी मुडते तुम्हारे शहर में 

शादी भले हो हमारे शहर में
रस्मोंकी किश्ते तुम्हारे शहर में 

रफ्तार पकडे दुनिया के रस्ते 
खुशी से टहलते तुम्हारे शहर में 

जयश्री अंबासकर