Tuesday, November 27, 2007

नव्हाळी

प्रीत ही जुनी जरी, रीत ही नवी नवी
जोड हा जुना जरी, ओढ ही नवी नवी

खेळ हा जुना जरी, डाव हा नवा नवा
वाद हा जुना जरी, संवाद हा नवा नवा

शब्द हे जुने जरी, वेध हे नवे नवे
गूढ हे जुने जरी, उकलणे नवे नवे

गीत हे जुने जरी, संगीत हे नवे नवे
गुंतणे जुने परी, सावरणे नवे नवे

गोडवा जुना जरी, स्वाद हा नवा नवा
वेग हा जुना जरी, आवेग हा नवा नवा

ताटवा जुना जरी, गंध हा नवा नवा
तोच चांदवा जरी, गारवा नवा नवा

बरसणे जुने जरी, भिजवणे नवे नवे
बहर तो जुना जरी, फ़ुलवणे नवे नवे

साद ही जुनी जरी, गवसणे नवे नवे
समजणे जुने जरी, उमजणे नवे नवे

जयश्री

2 comments:

Ashwini said...

शब्द हे जुने जरी, वेध हे नवे नवे
गूढ हे जुने जरी, उकलणे नवे नवे

Jayashree, khoop chhan jamalyaa aahet yaa ooli. Keep it up!

Kamini Phadnis Kembhavi said...

aataa kas..........
lai byes ekadam aavadyaa aapunako :)