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Tuesday, August 17, 2021

रातें

सपने सलोने बुनती है राते चंदा को अपने चुनती है राते सांसोंकी धुन और खामोश बातें धडकन की लय पे चलती है रातें

उमंगे हजारो सैलाब दिल में तिनके की तरहा बहती है रातें होती है जब भी फुलोंसी बातें असर से सहर तक महकती है रातें सांसों में बजती तरन्नुम नयी सी अंजान राहों पे चलती है रातें बेखौफ़ दिल की लाखों मुरादें सपनों में पूरी करती है रातें तनहाईयों से गुजरती है जब भी हमदर्द बनके छलकती है रातें जयश्री अंबासकर



Monday, July 19, 2021

जी हमें मंजूर है

ख्वाब में उनका सताना जी हमें मंजूर है
निंद आंखोंसे गंवाना भी हमें मंजूर है

महफिले उनकी गजब होगी हमे मालूम है
सिर्फ उनका गुनगुनाना भी हमें मंजूर है

मुस्कुराके रोक लेना कातिलाना है बडा
इस तरह उनका मनाना ही हमें मंजूर है

बात अब हर एक उनकी मान लेते प्यार से
महज उनका हक जताना भी हमें मंजूर है

देर से आना पुरानी आदतों में एक है
झूठ उनका हर बहाना भी हमें मंजूर है

साथ उनका शायराना पल लगे हर खुशनुमा
वक्त का खामोश गाना भी हमे मंजूर है

जयश्री अंबासकर

ये गझल मेरी आवाज में सुन सकते है !!




Tuesday, July 06, 2021

तुम्हारे शहर में

खुशियों के रस्ते तुम्हारे शहर में
मौसम है हसते तुम्हारे शहर में 

तनहाइयों को नही है ठिकाना 
पल है मचलते तुम्हारे शहर में 

मोहब्बत तो होगी हमे भी यकीनन
दिल के फरिश्ते तुम्हारे शहर में

खुशबू तुम्हारी हर इक गली में 
महकते है रस्ते तुम्हारे शहर में  

हमारा शहर भी, शहर तो है लेकिन 
किस्से है बनते तुम्हारे शहर में

चाहे किधर भी रुख हो हमारा
कदम फिर भी मुडते तुम्हारे शहर में 

शादी भले हो हमारे शहर में
रस्मोंकी किश्ते तुम्हारे शहर में 

रफ्तार पकडे दुनिया के रस्ते 
खुशी से टहलते तुम्हारे शहर में 

जयश्री अंबासकर